सूर्यवंश के शौर्य को समर्पित

ज़ंजीर से बंधे हाथ लिए, एक परवाना बड़ी दूर से चला आ रहा था, समय की कसौटी पर बाज़ी लगा, … More

संवाद टूटते तारे से

सांझ जब ढलने लगी, सिरहाने पर रात ने दस्तक दी, आसमान के नीचे, तारों की चादर ओढ़े, मैं पाँव पसारे … More