दिया बुझने ना देना

“तुम्हारा शहर तो बिल्कुल नये अन्दाज वाला है

हमारे शहर में भी अब कोई हमसा नहीं रहता”

बशीर बद्र

ये बात अलग है कि अब पढ़ने में रूचि रखने वालों की तादाद बहुत कम हो गई है, पर यदि आप हिंदी पढ़ने वालों की संख्या देखें तो गिनती के लोग मिलेंगे। मजे की बात तो ये है कि सीना ठोक कर हिंदी को मातृभाषा कहने वालों कि संख्या ऐसे बड़ रही है जैसे कि देश में बेरो़गारी, यानि काफी तीव्र गति से। ये क्या हाल बना दिया हमने इस महान भाषा का जिसमें मोतियों के जैसे सुंदर कहानियां, उपन्यास आदि लिखे गए, और आज उन मोतियों को कोई कौड़ियों के दाम बराबर भी नहीं जानता। मातृ भाषा कहने वालों ने ही जब इसे मात्र भाषा बना दिया हो तो ये जले पर नमक से कम बात नहीं है। पर कोई बात नहीं। जब जागो तब सवेरा। कल नहीं तो आज सही पर हिंदी में लिखे कुछ बेहतरीन उपन्यास की झलकियां आज मैं आपको दे सकती हूं। ज्ञान तो मुझे भी सूई की नोक के बराबर है पर जितना है उसका कुछ साझा किया जा सकता है।

गुनाहों का देवता: धर्मवीर भारती का ये बेहतरीन उपन्यास अलाहबाद में रचित है और चन्दर और सुधा की अनकही प्रेम कथा की कहानी है। चन्दर एक अनाथ लड़का है जो कि रिसर्च कर रहा है। अपने प्रोफेसर की बेटी सुधा से वो प्यार करता है किन्तु सामाजिक और आर्थिक अंतर के कारण वो ये बात कभी कह नहीं सकता। क्या चन्दर सही समय आने पर और सुधा की रजामंदी जानने के बाद भी, समाज की रस्सियों से खुद को आजाद करा पाता है या एक गुनाह के ऊपर दूसरा गुनाह करते करते खुद गुनाहों का देवता बन जाता है?https://www.amazon.in/dp/B01MFDA7D5/ref=cm_sw_r_cp_apa_i_rmeHFbYQ4ZVCG

एक गधे की आत्मकथा: कृष्चंद्र का ये व्यंग आपको जितना हंसाएगा उतना ही सोचने पर भी मजबूर कर देगा। कहानी की शुरुआत में बताया जाता है कि कैसे अख़बार पाठ करने से एक गधा बोलने लगता है और समाज का हाल ये है कि वो अंततः प्रधान मंत्री से मुलाकात भी कर लेता है और बाकायदा एक बहुत सुंदर कन्या से उसकी शादी भी तय हो जाती है। कहानी में बेहद सुंदर कटाक्ष से सुसज्जित है।
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राग दरबारी: साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजित श्रीलाल शुक्ल के इस व्यंग उपन्यास के बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम है। कहानी का मुख्य पात्र है रंगनाथ जो कि एक रिसर्च का छात्र है, और शिवपालगंज में अपने मामा विद्याजी के घर कुछ महीने बिताने आता है। गांव में वो देखता है कि कैसे उसके मामा गांव का एक एक संगठन अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने में लगा देते हैं। https://www.amazon.in/dp/8126713968/ref=cm_sw_r_cp_apa_i_YkeHFbA4BPZ42

आपका बंटी: मैंने अपने जीवन में इस उपन्यास से खूबसूरत शायद ही कुछ पढ़ा होगा। अजय और उसकी पत्नी शकुन के टूटते रिश्ते में उनके छोटे से बेटे बंटी की कैसे आहुति दे दी जाती है इसका इतना मार्मिक चित्रण है कि आप अपनी आंखे पोछते-पोछते पन्ने पलटते जाएंगे। छोटे से बंटी को कुछ समझ नहीं आ रहा कि तलाक क्या होता है और उसके मां बाबा बात क्यों नहीं कर लेते। हालात और बिगड़ जाते हैं जब दोनों अजय और शकुन दूसरी शादी कर लेते हैं और बंटी के अंदर का कोलाहल आसमान छूने लगता है। मनु भंडारी को सादर नमन है कि उन्होंने ये उपन्यास लिख कर हम सभी पर कृपा करी। https://www.amazon.in/dp/8183610935/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_JjeHFb2JP2FTT

ऐसे ही अनेको लेख और उपन्यास हैं इस धरा पर जो कि आपके शहर की जर्जर हालत में पड़ी लाइब्रेरी के कोनों में पड़े होंगे। चलिए उन्हें एक बार खोल लें। राहत की सांस दिलाएं कि उनके हाल जानने वाले अभी ज़िंदा हैं।

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