बहुत दूर कितना दूर होता है: किताब का अनुभव

लेखनी एक बहुत खास कला है। या कहो तो कलाकार होना ही अपने में अद्वितीय है। बहुत लोगों से आप भी परिचित होंगे जिनकी कहानी या किस्सा सुनाने का तरीका निहायती बोरिंग होता है। कहानी कब खत्म हो इस बात का इंतजार आपकी पूरी औपचारिकता की सच्चाई होती है। इसी तरह से कुछ किताबें होती हैं, जिनमें शब्द तो हों पर आपको बांधके रख सकने वाली डोर नहीं। तमाम कलाकारों में क्यों कुछ ही कलाकार श्रेष्ठ होते हैं उसका यही कारण है। इन कलाकारों के ज़रिए आप वो दुनिया जी लेते हैं जिसकी आपने कभी कल्पना भी ना करी हो। कला की उस दुनिया से बाहर निकलो तो लगता है जैसे नींद से जागे हों और एक अनोखा सपना देख रहे थे। मेरी ये भूमिका बनाने का कारण है मानव कौल द्वारा लिखी गई किताब जिसका शीर्षक है “बहुत दूर कितना दूर होता है”।

किताब का शीर्षक जितना मनमोहक है, किताब भी उतनी ही खास है। यह किताब सही मानो में मानव जी का यूरोप की यात्रा का वृतांत है। सच कहूं तो यात्रा वृत्तांत पर आधारित वीडियो और सीरियल भी मुझे नहीं भाते। पर यह किताब इतनी बारीकी, और पर्दाहीन तरह से लिखी है, जैसे की आप यूरोप की सतह के पार देख सकते हों। ना ही बर्फ से लदी चोटियों के पार, बल्कि उन रास्तों का लुत्फ उठाते हर इंसान के ऊपरी ढांचे के पार। ऐसी कहानी है जिसमें कई बार मुझे लगा की मेरी मनोदशा या मेरी निजी हरकतों का इन लेखक को कैसे पता चला।

इस किताब में लेखक यूरोप में अकेले सफर कर रहे हैं। आज कल solo travel का दौर भी है। फिर भी मुझे नहीं लगता यह किताब सब को पसंद आएगी। इस किताब में यद्यपि लेखक आज यहां कल वहां रहता है, पर उसके विचारों में एक अजीब सा ठहराव है। मानव जी के शब्दों का चुनाव इतना सहज है, पर उनकी बातें एकदम खास।

मेरे सपने भी थोड़ी- सी ख़ुशी में, बहुत सारे सुख, चुगने जैसे हैं, जैसे कोई चिड़िया अपना खाना चुगती है। पर जब उसे एक पूरी रोटी मिलती है, तो वो पूरी रोटी नहीं खाती है, तब भी वो उस रोटी में से, रोटी चुग रही होती है। बहुत बड़े आकाश में भी हम अपने हिस्से का आकाश चुग लेते हैं… देखने के लिए हम बहुत ख़ूबसूरत और बड़ा आसमान देख सकते हैं। पर जीने के लिए… हम उतना ही आकाश जी पाएँगे… जितने आकाश को हमने, अपने घर की खिड़की में से जीना सीखा है।

मानव कौल, बहुत दूर कितना दूर होता है।

2 Comments

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s