साबुन की टिक्की खत्म हो चुकी है,पर न जाने फिर भी क्यों ये हाथ साफ नहीं होते।लगता है ये हाथ … More
Tag: नज़रिया
ये वक़्त भी गुजर जाएगा
आज ट्रैन से सफर कर रही हूं।घर जाना है।माँ बब्बा की तबीयत कुछ नासाज है।मुझे गति के विपरीत दिशा वाली … More
जैसा चश्मा वैसा रंग
क्या आपने प्रेमचंद की कहानियां पढ़ी हैं? यदि नहीं भी पढ़ी हों, तो आप प्रेमचंद के नाम से तो वाकिफ … More