ज़ंजीर से बंधे हाथ लिए,
एक परवाना बड़ी दूर से चला आ रहा था,
समय की कसौटी पर बाज़ी लगा,
जमाने की कहानी, जमाने को ही सुनाने,
उसका हीरो हीरालाल आ रहा था।
फिर ना जाने कब चुपके-चुपके ये लावारिस शहंशाह बन गया,
कल का बेनाम सौदागर, आज बॉम्बे टॉकी पर कोहराम बन गया।
यह मात्र संजोग नहीं, बल्कि भाग्य की गहरी चाल थी,
मुकद्दर का सिकंदर ही कहें इसे,
की इस बावर्ची की चाय में चीनी कभी कम ना थी।
दशकों से चल रहा ये सफर,
एक प्यार की कहानी है,
तुम कुली बने या बने शराबी,
तुम्हारा अक्स तो हमेशा से रूमानी है।
कभी अलविदा ना कहना इस बगिया को,
इस बाग़बान के हाथों अभी बहुत कांटे छटने बाकी हैं।
शतरंज के खिलाड़ी तो बहुत होंगे,
किन्तु वज़ीर रहकर भी सरकार राज कैसे कर सकें,
ऐसे लाल बादशाह को तो हिन्दोस्तान ठगने आए फिरंगियों की भी सलामी है।
समय की कसौटी पर खरे उतरे कोहिनूर हो तुम हमारे।
अग्निपथ पर चलकर, मौत से लड़ आए,
इस डगर पर बस तुम अकेले ही शहंशाह नहीं बने,
पर अपने साथ-साथ न जाने कितने और करोड़पति भी बना लाये।
Wah Aali bhut sundarta se sari filmon ko ek kavita rupi ladi mein poroya hai.
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🙂
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Amazing Aali. Such a flawless writing. love to read ur blogs.
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Many thanks Shobha 🙂
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Kya baat h…Polite Applause…..
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Kya baat h…Polite Applause…
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Yoohoo ab tu wordpress par hi likhna. It is very accessible for me 😛 unlike the other medium 😉
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Jabardast..
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Dhanywaad 🙂
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