इस कहानी में 6 पात्र हैं: 1. दादी, 2. ताईजी (दादी की बड़ी बहू), 3. दीपा (दादी की दूसरी बहू), 4. तरुण (दीपा का बड़ा बेटा), 5. भावेश (दीपा का छोटा बेटा), 6. साँप
रात के 12 बज रहे हैं। भावेश के अलावा सब सो गए हैं। भावेश महाराज Pub-G खेलने में व्यस्त है।
भावेश (PubG खेलते हुए मोबाइल स्क्रीन पर चिल्लाते हुए) : मारो मारो! अबे उसको revive करो।
अचानक उसने दरवाज़े के इर्दगिर्द कुछ हिलता हुआ देखा।
भावेश (घबराकर): ओ बाप रे! घर में साँप घुस आया है। सालों सब सो रहे हो! अभी हम मर जाएंगे! उठो उठो सालों।
घर में अफरा तफरी मच गई। सब जाग गए हैं। साँप confused किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिती में पूरे कमरे के चक्कर लगाने लगा है। सब अब थोड़ा और घबरा गए हैं। सबका लेकिन reaction अलग है:
तरूण ने घबराकर अपने woodland के trekking shoes पहन लिये हैं।
भावेश पगला जैसा बिस्तर पर डर कर नाच रहा है।
दीपा ने कहीं से सुना था कि धुंआ लगाने से साँप भागता है। उसने झट से रसोई में सूखी मिर्च का पूरा stock जला कर घर में मिर्चीदार धुंआ लगा दिया है।
दादी को याद आया कि साँप तो उसके इष्टदेव हैं। इसलिये वो जमीन पर धूप-बत्ति ले कर पूजा करने बैठ गई है।
ताईजी ने डंडा पकड़ कर साँप को भगाने का जिम्मा अपने सर ले लिया है। ये देख तरूण ने helmet भी पहन लिया है।
तरूण: कोई forest department फ़ोन करो।
ताईजी (मिर्ची के धुएँ से खाँसते-खाँसते) : हम ही हो रहे हैं district magistrate जो रात के 12 बजे forest department यहां तुरंत पहुंच जाएगा।
भावेश (कभी mobile screen तो कभी साँप को देखते हुए): अबे बंदूक चला रहा है वो!! अरे बचाओ बचाओ सांप रेंग रहा है!!
दादी (खाँसते हुए और धूप घूमाते हुए): भूत-पिशाच निकट नहीं आवे,महावीर जब नाम सुनावे!
दीपा: मिर्च का धूआँ हल्का ना हो जाए, मैं भावेश के पापा की साइकिल का पुराना टायर भी जला देती हूँ।
ताईजी: इन सबने बस नाटक ही करने हैं। मुझे ही नागिन फिल्म का अमरीश पुरी सपेरा बनना पड़ेगा।
Meanwhile साँप जीभ निकालते हुए: ये मैं आज कहाँ फँस गया। शिवजी तुम्हारे गले के बदले आज मैं ये किनके लपेटे में पड़ गया। बचा लो प्रभू बचा लो!
मैदान में अब सचिन रूपी ताईजी उतर चुकी हैं। ये ताईजी ने डंडा घुमाया, और एक shot के साथ ही साँप को उड़ा कर दरवाजे तक पहुंचाया!!! बैट्समैन ताईजी अब full form में हैं। और ये लगाया साँप को दूसरा छक्का और साँप चला दरवाजे के पार।
साँप ने बाहर जाते हुए खुशी से राहत की साँस ली। घर में भी सबको राहत मिली, पर राहत की साँस नहीं। क्योंकि साँप तो चल दिया, पर घर में जलते हुए मिर्च और टायर के धुएँ में सांस कैसे ली जाए भाई!!!
What an amazing narration… Loved it. 😍😍
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Which role would you play kavita 😛
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Loved it…Yaad aa Gaya …
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Haha. This can be enacted some fine day for fun 🙂
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This is very funny. Lol.
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Hehe.
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Lol ! The character Bhawesh .
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😂😂😂
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😜
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